क्या होते है होरा वर्ग के देवता , और होरा वर्ग इन्हें देवता क्यों बनाया होंगा
होरा वर्ग और उनके देवता
होरा वर्ग के देवता
पराशर ने सूर्य की होरा में स्थित ग्रहों का देवता सूर्य को बनाया है जबकि चंद्र की होरा में स्थित ग्रहों का देव पितरों को बनाया, क्यों?कृपया अपने अपने विचार दें।
कहते हैं यदि पुरुष ग्रह सूर्य की होरा में तथा स्त्री ग्रह चंद्र की होरा में स्थित हों तो उत्तम माना जाता है।यह कुंडली में अच्छे हार्मोनल संतुलन को बताता है, क्योंकि सूर्य पुरुष हार्मोन का तथा तथा चंद्रमा स्त्री हार्मोन का कारक है।सूर्य अग्नि तत्व तथा तथा चंद्रमा जल तत्व का कारक है।अतः जीवन हेतु ये दो मुख्य तत्व ही जरूरी हैं। बाकी तत्वों का इनसे उद्भव होता है।सूर्य आत्मा के प्रतिनिधि हैं।सूर्य देव तब तक हैं, जब तक सृष्टि है और इसलिये वे आत्म के अनेक जन्मों की यात्रा के साक्षी हैं,तथा जातक के कर्मो पर आधारित प्राप्त अगली योनि तक उसके संचित प्रवृत्तियों को स्थान्तरित करते हैं।अपने तेज से सबके जीवन को अनुशासित रखते हैं।चंद्रमा जल तत्व का होने के कारण रक्त को विशेष रूप से नियंत्रित करते हैं। इसलिये वंशानुगत गुणों को यही निर्धारित करते हैं।अतः जो ग्रह चंद्रमा की होरा में जाते हैं , वे व्यक्ति में अपने पूर्वजों से प्राप्त गुणों को प्रदान करते हैं। इसलिये इस भाग के देवता पितर(पूर्वज) हैं। होरा से धन संपदा देखते हैं। पूर्वजों से प्राप्त विशेषताएं भी संपदा हैं।सूर्य की होरा में स्थित ग्रह व्यक्ति में उन गुणों को प्रदान करते हैं जो आत्मा ने कई जन्मों की यात्र के कारण संचित किये हैं। ऐसे व्यक्ति अपने माँ,पिता,रिश्ते और नातों पर ज्यादा निर्भर न कर आत्मा के पूर्व संचित गुणों के कारण अपने जीवन के रास्ते का स्वयं चयन करते हैं या यूं कहें कि ज्यादा आत्मविश्वास से युक्त होने के कारण अपने पर अधिक भरोसा करते हैं।इसलिये पूर्व जन्मों से प्राप्त गुण भी सम्पदा हैं।
पूरे भ-चक्र में पुरुष राशियों पर सूर्य का एवं सभी स्त्री राशियों पर चंद्रमा का अधिपत्य है। इस कारण पुरुष राशियाँ शारीरिक शक्ति का प्रतीक हैं तो स्त्री राशियाँ भावनात्मक सहयोग का कार्य करती है।दोनों का संतुलन कार्य को उसके सफल परिणाम तक ले जाता है।यदि अधिक ग्रह चंद्र की होरा में चले जायें तो व्यक्ति कठिन श्रम से जी चुराता है और खयाली पुलाव ज्यादा करता है। इसी तरह अधिक ग्रह सूर्य की होरा में चले जाएं तो व्यक्ति परिश्रम तो कर लेता है किंतु सही योजना के अभाव में कई बार सही दिशा प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हुए पाया जाता है।
........ लेखक:- नरेश चंद्र(9695986437)
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